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उत्तराखंड में विधानसभा चुनाव में बीजेपी ने ५७ सीटो पर विजय दर्ज

उत्तराखंड में  विधानसभा चुनाव  में बीजेपी  ने ५७ सीटो  पर  विजय  दर्ज  कर  बहुमत  हासिल  कर ली   है। मुख्यमंत्री हरीश रावत किच्छा और हरिद्वार ग्रामीण सीट से हार चुके हैं और उन्होंने मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा दे दिया है। राज्यपाल के.के पॉल ने उनका इस्तीफा मंजूर कर लिया है। फिलहाल, हरीश रावत नए मुख्यमंत्री के शपथग्रहण तक मुख्यमंत्री कार्यवाहक के तौर पर काम करेंगे। बता दें कि एग्जिट पोल में भी भाजपा को उत्तराखंड में सबसे बड़ी पार्टी बताया गया था। उत्तराखंड के सीएम हरीश रावत ने एक न्यूज चैनल से बातचीत में कहा कि राज्य में कांग्रेस बहुमत से सरकार बनने जा रही है। उन्होंने कहा, “मेरे मन में उत्साह भी है और आकांक्षा भी है। मैने भगवान से प्रार्थना की है कि जिस तरह मैने पिछले कार्यकाल में काम किया है इस बार उससे भी बेहतर करूं।” बता दें कि रावत ने घर पर पूजा का आयोजन कराया और काला टीका भी लगाया।
Result Source by : The Times Of India

यहां 15 फरवरी को 69 सीटों के लिए वोट डाले गये थे। जबकि एक सीट पर वोटिंग 9 मार्च को हुई। इस बार उत्तराखंड की जनता ने बंपर वोटिंग की और पिछले तीन बार के विधानसभा का रिकॉर्ड तोड़ते हुए 70 फीसदी वोट डाले। इस बार सीएम हरीश रावत हरिद्वार ग्रामीण और किच्छा सीट से उम्मीदवार हैं, उन्होंने सूबे में 45 सीटें जीतने का दावा किया है। उत्तराखंड में कुल 35,78,995 महिला मतदाताओं समेत कुल 74,20,710 मतदाता हैं। 13 जिलों में फैली 70 विधानसभा सीटों पर 637 प्रत्याशियों ने चुनाव लड़ा। थोड़ी ही देर में ये साफ हो जाएगा कि इन मतदाताओं ने किनके हक में अपना फैसला दिया है। उत्तराखंड में ज्यादातर सीटों पर भाजपा और कांग्रेस के बीच सीधा मुकाबला है लेकिन करीब एक दर्जन सीटों पर बतौर निर्दलीय खड़े हो गये बागी अपनी पार्टी के अधिकृत प्रत्याशियों को कड़ी टक्कर दे रहे हैं।





भारतीय जनता पार्टी ने उत्तराखंड के 64 विधानसभा प्रत्याशियों की सूची जारी

भारतीय जनता पार्टी ने उत्तराखंड के 64 विधानसभा प्रत्याशियों की सूची जारी कर दी है।
उम्मीदवारों की पूरी ल‌िस्ट 

  • 1- पुरोला (SC) से मालचंद
  • 2- यमुनोत्री से केदार सिंह रावत
  • 3- गगोत्री से गोपाल रावत
  • 4- बदरीनाथ से महेंद्र भट्ट
  • 5- थराली (SC) से मगनलाल शाह
  • 6- कर्णप्रयाग से सुरेंद्र सिंह नेगी
  • 7- केदारनाथ से शैलारानी रावत
  • 8- रुद्रप्रयाग से भरत चौधरी
  • 9- घनसाली (SC) से शक्ति लाल शाह
  • 10- देवप्रयाग से विनोद कंडारी
  • 11- नरेंद्रनगर से सुबोध उनियाल
  • 12- प्रतापनगर से विजय सिंह पंवार
  • 13. टिहरी से धन सिंह नेगी
  • 14. धनौल्टी से नारायण सिंह राणा
  • 15. सहसपुर से सहदेव पुंडीर
  • 16. रायपुर से उमेश शर्मा 'काऊ'
  • 17. राजपुर रोड (SC) से खजानदास
  • 18. देहरादून कैंट से हरबंस कपूर
  • 19. मसूरी से गणेश जोशी
  • 20. डोईवाला से त्रिवेंद्र सिंह रावत
  • 21. ऋषिकेश से प्रेमचंद्र अग्रवाल
  • 22. हरिद्वार से मदन कौशिक
  • 23. बीएचईएल रानीपुर से आदेश चौहान
  • 24. ज्वालापुर (SC) से सुरेश राठौर
  • 25. भगवानपुर (SC) से सुबोध राकेश
  • 26. झबरेड़ा (SC) से देशराज कर्णवाल
  • 27. पिरानकलियर से जयभगवान सैनी
  • 28. रुड़की से प्रदीप बत्रा
  • 29. खानपुर से कुंवर प्रणव सिंह चैंपियन
  • 30. मंगलौर से ऋषिपाल बलियान
  • 31. लक्सर से श्री संजय गुप्ता
  • 32. हरिद्वार ग्राणी से स्वामी यतीश्वारानंद
  • 33. यमकेश्वर से ऋ‌तु खंडूड़ी (बीसी खंडूड़ी की बेटी)
  • 34. पौड़ी (SC) से मुकेश कोली
  • 35. श्रीनगर से धन सिंह रावत
  • 36. चौबट्टाखाल से सतपाल महाराज
  • 37. लैंसडौन से दिलीप सिंह रावत
  • 38. कोटद्वार से हरक सिंह रावत
  • 39. धारचूला से वीरेंद्र सिंह पाल
  • 40. डीडीहाल से बिशन सिंह चुफाल
  • 41. पिथौरागढ़ से प्रकाश पंत
  • 42. गंगोलीहाट (SC) से मीना गंगोला
  • 43. कपकोट से बलवंत सिंह भौर्याल
  • 44. बागेश्वर (SC) से चंदन राम दास
  • 45. द्वाराहाट से महेश नेगी
  • 46. सल्ट से सुरेंद्र सिंह जीना
  • 47. रानीखेत से अजय भट्ट (प्रदेश अध्यक्ष)
  • 48. सोमेश्वर (SC) से रेखा आर्य
  • 49. अल्मोड़ा से रघुनाथ सिंह चौहान
  • 50. जागेश्वर से सुभाष पांडेय
  • 51. लोहाघाट से पूरन फर्त्याल
  • 52. चंपावत से कैलाश गहतोड़ी
  • 53. लालकुंआ से नवीन दुमका
  • 54. नैनीताल (SC) से संजीव आर्य
  • 55. कालाढूंगी से बंशीधर भगत
  • 56. जसपुर से शैलेंद्र मोहन सिंघल
  • 57. काशीपुर से हरभजन सिंह चीमा
  • 58. बाजपुर (SC) से यशपाल आर्य
  • 59. गदरपुर से अरविन्द पाण्डेय
  • 60. रुद्रपुर से राजकुमार ठुकराल
  • 61. किच्छा से राजेश शुक्ला
  • 62. सितारगंज से सौरभ बहुगुणा (विजय बहुगुणा के बेटे)
  • 63. नानकमत्ता से प्रेम सिंह राणा
  • 64. खटीमा से पुष्कर सिंह धामी
​अभी छह सीटों पर प्रत्याशियों का एलान होना बाकी है। गौरतलब है कि उत्तराखंड में विधानसभा की 70 सीटें हैं।








भारी मात्रा में सैलानियो के चलते चकराता में 4 किलोमीटर तक का जाम

सैलानियों चकराता की वादियों की दर्शन करने के लिए काफी मुस्किलो का सामना करना पड रहा है । हजारो की संख्या ने पहुंचे सैलानियों को 4 से 5 किलोमीटर का जाम झेलना पड़ रहा है ।
जाम   के चलते  पर्यटकों  को  ४ से  ५ किलोमीटर  तक  का पैदल  रास्ता  तय  कर  के  सदर  बाजार  पहुँच  रहे  है।  जँहा  पर्यटक  बर्फ  से लदी  वादिया  देख  खुश  है  वही  इस  तरह  की व्यवस्तता  के  चलते निराश  भी  है। 

सैलानियों  के  जाम  में फसे  वाहन 
जाम  जैसी  स्तिथि  देख  लोगो को  फिर  से गेट  प्रणाली  याद  आयी।  

बर्फ  से  ढकी  वादियो  का दीदार  करने  के  लिए  पहुंचते लोग 


जौनसार बावर वार्षिक महोत्सव २०१७ दिल्ली में संपन्न


जौनसार  बावर  वार्षिक  महोत्सव  २०१७  दिल्ली  में संपन्न आज  संपन्न हुवा।  इस महोत्सव  में पारम्परिक  गीत , हारुल ,नृत्य  आदि  प्रस्तुति  विभिन्न  कलाकारों  द्वारा  देखने को मिली। इस उपलक्ष्य  में बूलाड़  के महासू  देवता  की वेबसाइट  का भी सुभारम  भी  किया  गया। 

दिल्ली में आयोजित जौनसारी मेला २०१७ की विडियो | jaunsari fest delhi 2017 video

दिल्ली  में आयोजित  जौनसारी  मेला २०१७ की विडियो 


नए साल  के जश्न  में दिल्ली  में रहने  वाली  जौनसार  बावर   कर्मचारी  ने धूम धाम  से जौनसारी  मेला  मनाया।  इस मेला का आयोजन  प्रत्येक  वर्ष  १ जनवरी  को किया जाता  है।  इस  कार्येक्रम  में दिल्ली  वास  क्र रहे जौनसार  बावर  के कर्मचारी  गण  बढ़  चढ़  क्र हिस्सा लेता  है तथा  पारम्परिक  लोकगीतों  के साथ   नृत्य  करते है। ऊपर  विडियो  १ जनवरी २०१७ को  फिल्मायी  गयी है।


जौनसार बावर और पलायन

सुने हो रहे है गॉंव , बंजर हो  खलियान ,एक घोऱ  सन्नाटा  पसरा है  घर आँगन  में जँहा  कभी  बच्चो  की किलकारियां  और चहचाहट  सुनने  को मिलती थी ,खाली  हो गये  है  बैठक और ख़त्म हो  गये वो  ठिकाने  जंहा बुजुर्ग  लोग सुबह शाम बैठ  कर ठहाके  लगाते  थे।  चाह  विकास  की थी  लेकिन  उज्जड़  गए  है  जौनसार  का गॉंव समाज ,विकास की चाह  और बढती  बेरोजगारी  ने यँहा  के  युवाओ  को  गॉंव समाज  भूलकर  पलायन  के लिए एक नया  आयाम  दिया है। वो कुछ  इस तरह  इस  समस्या  से प्रभावित  हुवा है  की वह  इससे  बहार निकलना  ही नही  चाहता है। 
आधुनिकरण  ने जौनसार के  लोगो  इस तरह लाचार  बनाया है  की पहाड़ की कठिनाई  पूर्ण  जिंदगी   सामने  वो सरल पलायन  को गले  लगाता है।  पहाड़ की चुनोतियों  पूर्ण सफर  के  डर  से  वो उस मिट्टी  को भूल  जाना  पसंद करता है  जिसने  उसकी व  उसके  पूरकों  की कई  पीढ़ियों  को पला पोषा  है।  निर्मम  सोयी  पड़ी  है  मिट्टी बंजर  जंग  का बोझ ले के जो कभी  जीवन  रूपी  अनाज  उपजाति  थी  वो आज   घास  , भांग और नवनीकरण  आपदा  आये  मलवे  बोझ तले  धूप  में  तप  रही  है , बरसात  में भीग  रही  है और  ठण्ड  में ठिठुर  रही है। 

पलायन  की वजह  से गाँव  में घटती  आबादी  ने सबको जंजोर  के  रख  दिया है। गाँव  में लगते  ताले देख  बहुत  से लोग अकेलेपन के  भय  से ताले  लगाने को तैयार है। बच्चो  की उत्तम  शिक्षा  व  उनके  उज्जवल  भविष्य  और  अपने लिए सरल व  आरामदायक  रोजगार की चाह  में लोग इस तरह  गाँव  से विस्तापित  हो रहे हैकि  गाँव  में सनाटा सा पसर रहा है।  आज  के  इस  शिक्षित समाज और सरकार   इस उभरती  समस्या   वाकिफ  है।  लेकिन  इस समस्या  को  रोकने    कोई  कदम  नहीं  उठाया  गया। जौनसार बावर  शिक्षा , चिकित्सा  व अन्य  मुलभुत  सुविधा   अभाव  में  पलायन  रूपी  समस्या  में घिर  रहा है। 

उत्तप्रदेश  से विभाजित  होने  के बाद  जौनसार बावर  ही नहीं  बल्कि गढ़वाल  व कुमाऊं  के सभी  पहाड़ी  गाँवो  यही  हाल है। पलायन  की बढ़ती  इस समस्या  को कुछ जानकार  सरकार  व  कुछ  ख़ुद  को जिमेदार  ठहराते है। साथ ही साथ कई बार प्राकृतिक  आपदाओं के कारण कृषि पर इसका सीधा असर दिखाई दे रहा है इन सभी वजहों के कारण राज्य  का विकास भी प्रभावित  होता दिखाई  देता है। 

जौनसार  बावर  के  कोटि  कानासर  में विगत  अगस्त  माह में '' पलायन  एक  चिंतन '' नामक  कार्येक्रम  एक पहल  के  रूप  में आयोजित  किया गया था।  इस कार्येक्रम में  प्रदेश    राज्यसभा  सांसद  '' प्रदीप  टम्टा'' , मोहन सिंह रावत , प्रसिद्ध  जनकवि  , गीतकार  लोकगायक  ''नरेंद्र सिंह नेगी '' व गांववासियों  ने   पलायन जैसी समस्या पर अपने विचार  रखे। उनके मतानुसार  हमें  पलायन  जैसे  समस्या  के लिए सब्र के साथ  इस   चिंतन करने  की आवश्कता  है  हमें वैसे  सारे  तथ्य  और  दस्तावेज  इकट्टा  कर  के इस  समस्या  से निपटने  लिये  एक मास्टर  प्लान  बनाना  चाहिए। 
पलायन  का सीधा  असर  कृषि  पर  भी  पड  रहा  है भारत सरकार ने हाल ही में पंतनगर विवि से 1950 से लेकर अब तक कृषि की स्थिति से संबंधित एक रिपोर्ट मांगी थी। इसमें 2050 की आबादी का आकलन कर अनाज की आवश्यकता आदि की बाबत निष्कर्ष बताने को भी कहा गया था। विवि ने जो रिपोर्ट भेजी है उसके तथ्य चौंकाने वाले हैं। रिपोर्ट के अनुसार अभी पूरे देश में करीब 14 करोड़ हेक्टेयर खेतिहर जमीन है। बढ़ते शहरीकरण व खेती की जमीन का अन्य कामों में इस्तेमाल आदि के चलते 2050 तक लगभग दो करोड़ हेक्टेयर तक खेती योग्य जमीन कम हो जाएगी। इस हिसाब से एक दिन में 1,441 हेक्टेयर से ज्यादा उपजाऊ भूमि खत्म हो रही है। जबकि 2050 में आबादी बढ़कर एक अरब 70 करोड़ तक पहुंचने की संभावना है। इतनी आबादी के लिए सालाना 37 करोड़ टन अनाज की जरूरत होगी।

कृषि भूमि के लगातार सिकुड़ते जाने पर पंतनगर विवि की टीम ने गंभीर चेतावनी देते हुए राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री को सीधे रिपोर्ट में कृषि भूमि के दूसरे कामों में इस्तेमाल को प्रतिबंधित करने की संस्तुति की गई है। रिपोर्ट में कहा गया है कि आबादी की आवश्यकता के अनुरूप अनाज जुटाने के लिए भविष्य में अपरंपरागत क्षेत्र मसलन पर्वतीय, रेगिस्तान और तटवर्ती इलाके की जमीनों को खेती योग्य बनाने के प्रयास करने होंगे। साथ ही मौजूदा खेती योग्य जमीन की उपज बढ़ानी होगी। बहुमंजिला इमारतों को बढ़ावा देना होगा। इसके अलावा राष्ट्रीय कृषि अनुसंधान व्यवस्था भी और सशक्त बनानी होगी। अनुसंधान पर अधिक खर्च करना होगा। स्पष्टतः कृषि भूमि का अविवेकी दोहन भविष्य के लिए बड़े खतरे को जन्म देने वाला साबित होने वाला है।

यह विडंबना ही है कि जिस पंतनगर विश्वविद्यालय को कृषि योग्य भूमि की दशा-दिशा पर अध्ययन का भार सौंपा गया था उसकी ही कृषि योग्य भूमि कल-कारखानों के निर्माण के कारण आधी से भी कम रह गई है। विश्वविद्यालय की कृषि योग्य भूमि की ज्यादा खुर्द-बुर्द पिछले सात सालों में हुई है। ऊपर से जनपद में खेती की जमीन पर खुलेआम अवैध प्लॉटिंग हो रही है लेकिन शासन-प्रशासन अनजान बना हुआ है। उत्तराखंड की तराई की जमीन खेती के लिए सर्वोत्तम है। यहां का चावल विदेशों में भी भेजा जाता है। लेकिन अब पिछले कुछ सालों में तराई की लगभग 30 हजार एकड़ भूमि पर अनाज की जगह कंक्रीट की फसल उग रही है।


हमें और हमारी सरकार विशेषतः राज्य सरकार को लगातार हो रहे पलायन को रोकने के लिए ठोस कदम उठाने चाहिए| इसके लिए सर्वप्रथम गावों में उद्योग-धंधों की स्थापना करनी चाहिए| दूसरा कदम यहाँ पर उचित शिक्षा की व्यवस्था करनी चाहिए| स्कूलों और कालेजों में मुख्य शिक्षा के साथ-साथ तकनीकी शिक्षा को भी बढ़ावा देना चाहिए और समय- समय पर ऐसे कार्यक्रमों का आयोजन करना चाहिए जिसमें युवा वर्ग को स्वरोजगार के गुणों के बारे में बताया बताया जाय और स्वरोजगार अपनाने के लिए प्रेरित किया जाय| कृषि की स्थिति में सुधार के लिए खेतों की चकबंदी की जानी चाहिए और किसानों को अच्छे किस्म के बीज व खाद के अलावा ब्याजमुक्त ऋण उपलब्ध कराया जाना चाहिए ताकि लोग कृषि को भी रोजगार के रूप में अपना सकें और इसके जरिये अपना और अपने परिवार का भरण-पोषण भली-भांति कर सके और लगातार हो रहे पलायन पर ब्रेक लग सके

source :
  1. http://hindi.indiawaterportal.org/node/37733
  2. http://bedupako.com/blog/2012/03/29/why-do-youth-migrate-from-uttarakhand/#axzz4TdrmDVkQ
  3. http://hindi.indiawaterportal.org/node/54305